पहाड़ी गल्लां
“दोस्ती जोड़ी राख”
ज्यादा क्यूं सोचो ए ,
इच्छा ही थोड़ी राख ।
दुःखा चे ना रोया कर,
तार उब्बे जोड़ी राख।
नींवां हुई के चल यारा,
घमण्ड करे छोड़ी राख।
सदा नई ये ताकत रौणी,
इयां नी छाती चौड़ी राख।
मीठा बोल सुण मीठा,
जबान ना कौड़ी राख।
औखे वक्ते काम औणी,
यारी दोस्ती जोड़ी राख।
- शिवकुमार शर्मा (शिवा)✍🏼