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पहाड़ी गल्लां

नमस्कार।। हिमसंस्कृतवार्ताः हिमाचलप्रदेश में संस्कृत एवं संस्कृति के प्रचार के लिए शुरु किया गया प्रकल्प है जिसका उद्देश्य संस्कृत एवं हिमाचल की संस्कृति भाषा काव्य एवं लेखकों पर प्रकाश डालना है। उसी कड़ी में हमारा पहाड़ी गल्लां का यह पृष्ठ हिमाचली लोकगीतों, कविताओं , कहानियों को समर्पित रहेगा। इसमें हिमाचल के पहाड़ी भाषा के लेखकों के लेखों को आपके साथ साझा किया जाएगा।

अजकला रे छोरुआं रा बखरा ई कम्म- रविन्द्रकुमार

अजकला रे छोरुआं रा बखरा ई कम्म कहरें कम्म करदे नी बाबू बणी घुमदे दारू जिथी मिली जाओ पेग लाई

पहाड़ीगल्लां- कुड़िया रा ब्याह

पहाड़ीगल्लां- कुड़िया रा ब्याह निक्के रिया मुन्नियां रा आया ब्याह देई दित्ती बापूये दूर परदेश चार बजे रे थे लग्न

घेरसू दियाली-: दियाली ता हूण बी मनांदे अहें

घेरसू दियाली दियाली ता हूण बी मनांदे अहें, पर से पहले ओली दियाली सबी ते नोखी हुआं थी, छलियाँ बढी

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